Tuesday, April 23, 2013

आपकी की नजरो ने समझा प्यार के काबिल मुझे.../ मदन मोहन

मदन मोहन ने अपने ढाई दशक के सिनेमा कैरियर में 100 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत दिया। लेकिन संगीतकार मदनमोहन का 'आपकी नजरो ने समझा प्यार के काबिल मुझे' गीत से संगीत सम्राट नौशाद इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इस धुन के बदले अपने संगीत का पूरा खजाना लुटा देने की इच्छा जाहिर कर दी थी। मदन मोहन कोहली का जन्म 25 जून 1924 को हुआ था। उनके पिता राय बहादुर चुन्नी लाल फिल्म व्यवसाय से जुडे हुये थे। साथ ही वे बाम्बे टाकीज और फिलिम्सतान जैसे बड़े फिल्म स्टूडियो में साझीदार थे।

लखनऊ आकाशवाणी से शुरू हुआ सफर

घर मे फिल्मी माहौल होने के कारण मदन मोहन भी फिल्मों में काम करके नाम करना चाहते थे, लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने सेना मे भर्ती होने का फैसला ले लिया। उन्होंने देहरादून में नौकरी शुरू कर दी। कुछ दिन बाद उनका तबादला दिल्ली हो गया। लेकिन कुछ समय के बाद उनका मन सेना की नौकरी से ऊब गया और वह नौकरी छोड़कर लखनऊ आ गये और आकाशवाणी के लिये काम करने लगे। आकाशवाणी में उनकी मुलाकात संगीत जगत से जुड़े उस्ताद फैयाज खान, उस्ताद अली अकबर खान, बेगम अख्तर और तलत महमूद जैसी जानी मानी हस्तियों से हुई। इन लोगों से मिलने के बाद उनका रूझान संगीत की ओर हो गया। अपने सपनों को नया रूप देने के लिये मदन मोहन लखनउ से मुंबई आ गए।

मदनमोहन की चहेती रहीं लता

मुंबई आने के बाद मदन मोहन की मुलाकात एस डी बर्मन, श्याम सुंदर और सी रामचंद जैसे प्रसिद्व संगीतकारों से हुई। वह उनके सहायक के तौर पर काम करने लगे। संगीतकार के रूप में 1950 में प्रदर्शित फिल्म 'आंखें' के जरिये वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने मे सफल हुए। फिल्म आंखें के बाद लता मंगेश्कर मदनमोहन की चहेती पा‌र्श्वगायिका बन गयी और वह अपनी हर फिल्म के लिये लता मंगेश्कर से हीं गाने की गुजारिश किया करते थे। लता मंगेश्कर भी मदनमोहन के संगीत निर्देशन से काफी प्रभावित थीं और उन्हें गजलों का शहजादा कहकर संबोधित किया करती थी।

किशन, मोहन और लता की बनी तिकड़ी

मदनमोहन के पसंदीदा गीतकार के तौर पर राजा मेहंदी अली खान, राजेन्द्र कृष्ण और कैफी आजमी का नाम सबसे पहले आता है। स्वर साम्राज्ञी लता मंगेश्कर ने गीतकार राजेन्द्र किशन के लिये मदन मोहन की धुनों पर कई गीत गाये। जिनमें यूं हसरतों के दाग..अदालत (1958), हम प्यार में जलने वालों को चैन कहां आराम कहां.. जेलर (1958), सपने में सजन से दो बातें एक याद रहीं एक भूल गयी..गेटवे ऑफ इंडिया (1957), मैं तो तुम संग नैन मिला के..मनमौजी, ना तुम बेवफा हो.. एक कली मुस्कुरायी, वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी..संजोग (1961) जैसे सुपरहिट गीत इन तीनों फनकारों की जोड़ी की बेहतरीन मिसाल है।

फिल्म अनपढ के गीत ने मचाया धमाल

पचास के दशक में मदन मोहन के संगीत निर्देशन में राजेन्द्र कृष्ण के रचित रूमानी गीत काफी लोकप्रिय हुए। उनके रचित कुछ रूमानी गीतों में कौन आया मेरे मन के द्वारे पायल की झंकार लिये.. देख कबीरा रोया (1957), मेरा करार लेजा मुझे बेकरार कर जा.. (आशियाना)1952, ए दिल मुझे बता दे..भाई-भाई 1956 जैसे गीत शामिल हैं। मदनमोहन के संगीत निर्देशन में राजा मेहन्दी अली खान रचित गीतों में आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे..अनपढ़ (1962), लग जा गले..(वो कौन थी) 1964, नैनो में बदरा छाये.., मेरा साया साथ होगा.. मेरा साया (1966) जैसे गीत श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों....

मदन मोहन ने अपने संगीत निर्देशन से कैफी आजमी रचित जिन गीतों को अमर बना दिया उनमें कर चले हम फिदा जानो तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों... हकीकत (1965), मेरी आवाज सुनो..प्यार का राज सुनो..नौनिहाल (1967), ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नही.. हीर रांझा (1970) सिमटी सी शर्मायी सी तुम किस दुनिया से आई हो...परवाना (1972), तुम जो मिल गये हो ऐसा लगता है कि जहां मिल गया.. हंसते जख्म (1973) जैसे गीत शामिल है।

जबतक लता है दूसरा कोई नहीं
मदनमोहन से आशा भोंसले को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि- आप अपनी हर फिल्मों के लिये लता दीदी को हीं क्यो लिया करते है, इस पर मदनमोहन कहा करते थे जब तक लता जिंदा है मेरी फिल्मों के गाने वही गायेगी। मदनमोहन केवल महिला पा‌र्श्वगायक के लिये हीं संगीत दे सकते हैं वह भी विशेषकर लता मंगेश्कर के लिये हीयह चर्चा फिल्म इंडस्ट्री में पचास के दशक में जोरों पर थी किंतु वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म देख कबीरा रोया में पा‌र्श्व गायक मन्ना डे के लिये कौन आया मेरे मन के द्वारे..जैसा दिल को छू लेने वाला संगीत देकर मदनमोहन ने उनके बारे में फैली धारणा पर विराम लगा दिया।

सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का मिला सम्मान

वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म दस्तक के लिये मदनमोहन सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गये। मदन मोहन ने अपने ढ़ाई दशक लंबे सिने कैरियर में लगभग 100 फिल्मों के लिये संगीत दिया। अपनी मधुर संगीत लहरियों से श्रोताओं के दिल में खास जगह बना लेने वाले मदनमोहन 14 जुलाई 1975 को इस दुनिया से जुदा हो गए। उनकी मौत के बाद वर्ष 1975 में हीं मदनमोहन की मौसम और लैला मजनू जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयी जिनके संगीत का जादू आज भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करता है।
  सिनेमा के 100 वर्ष पूरे होंने के अवसर पर बन रही फिल्म 'बॉम्बे टॉकीज' में महान संगीतकार स्वर्गीय मदन मोहन के सुपरहिट गानों की धुनें श्रोताओं को एक बार फिर से मंत्रमुग्ध कर देगी।

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