Thursday, May 3, 2012

लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी



 विनोद तिवारी
२ मई १९४१ को तत्कालीन नैनीताल (अब ऊधमसिंह नगर) उत्तरांचल के महुआ डाबरा नगर में जन्म। हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि।
१९६२ से लेखन में रत। तीन ग़ज़ल संग्रह, एक किशोर उपन्यास, एक बाल उपन्यास, दो बालगीत संग्रह, नवसाक्षरों के लिए तीन पुस्तकें प्रकाशित। 'शिवम् ' मासिक का संपादन। आकाशवाणी के अनुबंधित गीतकार। विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत सम्मानित।विगत २२ फरवरी २०११ को उनका निधन हो गया।उनकी एक ग़ज़ल श्रद्धांजलि स्वरूप


 
लिख गया नारे कोई दीवार पर
भीड़ ने पत्थर चलाए कार पर

बस दुआ कीजे दवाओं का असर
अब न हीं होता किसी बीमार पर

देश को गूँगा बनाया जाएगा
फिर वही आरोप क्यों सरकार पर

चुक गए बूढ़े दरख़्तों ने कहा
बस नहीं चलता नदी की धार पर

लोग सब बौने नज़र आए उसे
जो भी जा बैठा कुतुबमीनार पर

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