Sunday, May 27, 2012

भूले-बिसरे गीतकार

गीतकारों की श्रेणी में कई ऐसे फनकारों के नाम लिए जा सकते हैं जिनके गीत लोगों के जुबान पर चढ़कर बोले , लेकिन आज उन्हें भुला दिया गया। गीतकार कमर जलालादावादी , भरत व्यास , हसन कमाल , एस . एच . बिहारी , असद भोपाली , पंडित नरेंद्र शर्मा , गौहर कानपुरी , पुरुषोत्तम , शेव रिजवी , अभिलाष , रमेश शास्त्री , बशर नवाज और खुमान बाराबंकवी जैसे कई नाम हैं जिन्हें वक्त से साथ हम भूलते गए लेकिन उनके लिखे गीत आज भी आखें नम कर देते हैं।

फिल्म ' महुआ ' का गीत ' दोनों ने किया था प्यार मगर ...', ' हावड़ा ब्रिज ' का ' आइए मेहरबान ...', ' हिमालय की गोद ' में का ' मैं तो एक ख्वाब हूं ...' जैसे गीतों को समय के दायरे में नहीं बांधा जा सकता , लेकिन आज कम ही लोगों को मालूम होगा कि इसे कमर जलालाबादी ने लिखा था। इसी तरह , फिल्म ' बूंद जो बन गई मोती ' के गीत ' यह कौन चित्रकार है ...', ' संत ज्ञानेश्वर ' का ' ज्योति से ज्योति जले ...', ' रानी रूपमती ' का ' लौट के आजा मेरे मीत , तुझे मेरे गीत बुलाते हैं ...' को कौन भुला सकता है। इसे कलमबद्ध करने वाले गीतकार भरत व्यास हैं।

रमेश शास्त्री का नाम लेने पर आज कम ही लोग उन्हें पहचान पाएं लेकिन मशहूर गीत ' हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा ...' उन्हीं की कलम की उपज है। इसी प्रकार पुरुषोत्तम पंकज द्वारा लिखे गीत ' चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा ...', गीतकार अभिलाष के गीत ' इतनी शक्ति हमें देना दाता ...' एस . एच . बिहारी के गीत ' कजरा मुहब्बत वाला ...,' ' जरा हौले - हौले चलो मेरे साजना ', नरेंद्र शर्मा द्वारा लिखे गीत ' यशोमति मैया से बोले नंदलाला ...' को कौन भुला सकता है लेकिन कलम के इन जादूगरों को आज भुला दिया गया।

No comments: